Rajiv Gandhi Ke Sapno Ka Bharat
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समर्पण जीवन का आनंद है और जब ये आनंद रुह के समंदर में हिलोरें ले रहा हो तो उसके अनहद संगीत से कौन अनछुआ रह सकता है? लेकिन स्वार्थ के कनफोड़ शोर में यह संगीत सुनने को कहां मिलता है? बड़े दुर्लभ होते हैं ऐसे लोग। जगदीश पीयूष ऐसे ही बिरले लोगों में हैं, जिनकी धमनियों में अर्हिनिश बजता रहता है यह संगीत समर्पण कब सोचता है कि उसे क्या मिला? वो तो सिर्फ 'करने' की भाषा जानता है। जो कर दिया, जितना कर दिया,
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Hindi
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समर्पण जीवन का आनंद है और जब ये आनंद रुह के समंदर में हिलोरें ले रहा हो तो उसके अनहद संगीत से कौन अनछुआ रह सकता है? लेकिन स्वार्थ के कनफोड़ शोर में यह संगीत सुनने को कहां मिलता है? बड़े दुर्लभ होते हैं ऐसे लोग। जगदीश पीयूष ऐसे ही बिरले लोगों में हैं, जिनकी धमनियों में अर्हिनिश बजता रहता है यह संगीत समर्पण कब सोचता है कि उसे क्या मिला? वो तो सिर्फ 'करने' की भाषा जानता है। जो कर दिया, जितना कर दिया, वही उपलब्धि है- समर्पण की । विश्वास संगीत है समर्पण का। जगदीश पीयूष वही संगीत हैं जिसके सौंधे-सौंधे अवधी सम्मोहन में वे सभी खो जाते हैं, जिनकी नैतिकता में कहीं ईमानदारी दर्ज है। जायसी की साधना कर्मयोगी... अमेठी से पेरंबदूर तक का 'उत्तर दांडी यात्री', देश की सारी जानी-बोली की कांवर कांधे पर रखकर देश-विदेश घूमता, संस्कृति का एक यायावर कांवरिया... फक्कड़... फकीर। जिसने भक्ति को भुनाने के बजाय उसे समर्पण के कमंडल में आज तक सहेज कर रखा है, आज तक और अभी तक...! क्या वरदान दें ऐसे निष्काम साधक को । प्रभु खुद सोच में है क्योंकि उसका समर्पण प्रार्थना है, कोई याचना नहीं। इक्कीसवीं सदी के महानायक भारत रत्न स्वर्गीय राजीव गांधी के वैचारिक दर्शन को जनमानस तक पहुंचाने के लिए जगदीश पीयूष इस किताब के जरिए फिर एक बार 'सेतु' बने हैं।
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